बुद्ध की अमृतवाणी: हर किसी के जीवन में अच्छा और बुरा समय आता है। लेकिन सफलता तब तक नहीं टिकती जब तक मन का अहंकार दूर न हो जाए। जानें गौतम बुद्ध के ये अमर वचन.
गौतम बुद्ध कहते हैं: जीवन में हम कभी अच्छे काम करते हैं और कभी बुरे काम करते हैं। अच्छे कर्म हमें सम्मान और प्रसिद्धि दिलाते हैं, बुरे कर्म हमें निंदा और आलोचना दिलाते हैं। कई अच्छे कामों के बाद एक बुरे काम का साया सभी अच्छे कामों पर भारी पड़ सकता है। जानें कि गौतम बुद्ध ने अपने जीवन में इस बारे में क्या सिखाया।
गौतम बुद्ध की कहानी
एक बार गौतम बुद्ध एक नगर में आये। उन्हें देखने और सुनने के लिए शहर भर से लोग आये। गौतम बुद्ध से मिलने आने वाले लोगों में शहर का एक अमीर सेठ भी था। वह अमीर सेठ बुद्ध के लिए उपहार के रूप में बहुत सारा धन लाया। उससे उसका इरादा गौतम बुद्ध के माध्यम से राजा को संदेश भेजने का था। जब अमीर सेठ बुद्ध से मिला तो उसने उन्हें बताया कि वह शहर का बहुत अमीर और प्रभावशाली व्यक्ति है।
सेठ ने कहा, “मैंने इस शहर के लिए बहुत कुछ किया है।” अनेक विद्यालय एवं चिकित्सा केन्द्र स्थापित किये। यहां तक कि जिस कीमती सीट पर आप बैठते हैं वह भी मेरी बनाई हुई है।’ बुद्ध ने सेठ की सारी बातें चुपचाप सुनीं। जब सेठ लौटा तो गौतम बुद्ध ने उससे कहा, ‘तुम मेरे लिए जो कुछ भी लाए हो उसे यहीं छोड़ दो। अपने साथ कुछ भी वापस मत ले जाना।’
गौतम बुद्ध की यह बात सुनकर उस सेठ को बहुत आश्चर्य हुआ। उसने कहा, ‘हां महात्मा, मैं आपके लिए जो लाया हूं, उसे लेकर यहां से चला जाऊंगा।’ तब बुद्ध ने कहा, ‘तुम जो चीजें लाए हो, उनकी मुझे कोई जरूरत नहीं है। मैं चाहता हूं कि जिस वैभव से आपका मन भर गया है, उसे आप यहीं छोड़ जाएं।’ यह सुनकर सेठ को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने गौतम बुद्ध के चरणों में अपना अभिमान त्यागने की कसम खाई।
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